जिले के निकायों के पार्षद, सभापति , अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन,

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नगरीय प्रशासन एवं संचालनालय भोपाल द्वारा कलेक्टर कार्यालय के हाल में नगरीय निकाय के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया , यह आयोजन नगरीय निकाय चुनाव के दो महीने बाद ही होना था, किंतु किन्हीं कारण से यह कार्यक्रम दो वर्ष बाद हुआ जहां जिले की सभी नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधियों को उनके अधिकार और उनके दायित्वों की जानकारी भोपाल से आए नगरीय प्रशासन के अधिकारियों द्वारा दिया गया, यहाँ पर भी बालाघाट नगर पालिका के सत्ता पक्ष के पार्षद एवं सभापतियों की गुटबाजी देखने मिली जिन्होंने अपने अधिकार और नगर पालिका में होने वाले सौतेले व्यवहार को लेकर आए हुए अधिकारीयों से सवाल किया और बताया कि नगर पालिका में बैठे जिम्मेदारों द्वारा उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है

आपको बता दे की नगरीय प्रशासन भोपाल द्वारा जिले की सभी निकायों के जनप्रतिनिधियों के लिए उनके अधिकारों को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें किस प्रकार के अधिकार दिए गए हैं और किस प्रकार से उन्हें अपनी नगर पालिका क्षेत्र में काम करना है जो कि यह कार्यक्रम नगरीय निकाय चुनाव के दो महीने बाद ही होना था, किंतु किन्हीं कारण से यह कार्यक्रम पूरे 2 साल बाद आयोजित किया गया जिसमें बालाघाट जिले की सभी निकाय के जीते हुए जनप्रतिनिधि उपस्थित हुए जिसमें पक्ष, विपक्ष सहित पार्षद, उपाध्यक्ष और नगर पालिका अध्यक्ष ने शिरकत की, जिसमे निकाय से आए अधिकारियों द्वारा उनके अधिकार और कर्तव्य की जानकारी दी, किंतु यहां पर भी बालाघाट नगर पालिका के सत्ता पक्ष के पार्षद ,सभापति और अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के बीच चल रही गुटबाजी देखने को मिली, यहां पर आए हुए निकाय के अधिकारियों से पक्ष के पार्षदों द्वारा बताया गया कि किस प्रकार से बालाघाट नगर पालिका में प्रेसिडेंट इन काउंसिल की बैठक में सभापति और उनके मेंबर के अलावा अन्य लोग भी शामिल हो जाते हैं तो ,वहीं यह बैठक व्यक्ति विशेष के घरों में आयोजित होती है और होने वाली परिषद की बैठक का एजेंडा भी उन्हें समय से पहले नहीं दिया जाता, ऐसे कई सवाल सत्ता पक्ष के पार्षद ,सभापति सहित उपाध्यक्ष द्वारा आए हुए निकाय के अधिकारियों से कही गई , जिसमें बालाघाट नगर पालिका के पक्ष के पार्षद और सभापति में गुटबाजी देखी गई एवं मीडिया को भी आए हुए निकाय के अधिकारियों द्वारा इस कार्यक्रम का उद्देश्य बताया गया और बताया गया कि जिस प्रकार से यहां पार्षद व सभापतियों के द्वारा जो सवाल पूछे गए उनका जवाब दिया गया और जो कुछ पार्षदों द्वारा बताया गया कि उनकी निकाय में नियम अनुसार बैठक वी परिषद के एजेंडे नहीं दिए जाते उन सभी को सही जानकारी दी गई है

निकाय के प्रशिक्षण में भी दिखी गुटबाजी –

प्रशिक्षण के दौरान जिले के सभी निकाय से जनप्रतिनिधि पहुंचे थे और जैसे ही प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ और नगरीय निकाय से पहुंचे अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण शुरू ही किया गया था और बताया गया कि जनप्रतिनिधियों के क्या अधिकार है, उसके बाद जिले से पहुंचे सभी निकाय के जनप्रतिनिधि तो शांत रहे पर, बालाघाट नगर पालिका के सत्ता पक्ष के पार्षद व सभापति द्वारा सबसे पहले बालाघाट नगर पालिका में होने वाली प्रेसिडेंट इन काउंसिल की बैठक और परिषद की बैठक के एजेंडे की कॉपी नहीं दिए जाने को लेकर निकाय के अधिकारियों को बताया गया और पूछा गया कि क्या यह सही है, तब निकाय के अधिकारियों द्वारा भी बताया गया कि यह गलत है , और ऐसा नहीं होना चाहिए जिसको देखकर सभी निकाय से पहुंचे पार्षद ,सभापति को यही लग रहा था कि बालाघाट नगर पालिका के सत्ता पक्ष में भी गुटबाजी का दौर चल रहा है

विपक्ष के पार्षद रहे शांत –

प्रशिक्षण के दौरान जब हमने विपक्ष के कुछ पार्षदों से चर्चा कि तो उनके द्वारा क्यों अपने अधिकार को लेकर जानकारी नहीं ली जा रही है तब नगर पालिका में विपक्ष की भूमिका निभाने वाले पार्षदों द्वारा बताया गया कि जैसे ही प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ ,वैसे ही सत्ता पक्ष के ही पार्षद व सभापति द्वारा हंगामा कर दिया गया जिसे देखकर वह शांत रहे क्योंकि जो सवाल उन्हें पूछना था , वह सत्ता पक्ष के पार्षदों द्वारा ही पूछ लिया गया जिससे उन्हें पूछने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी

7 दिन पहले देना चाहिए एजेंडा की कॉपी –

निकाय से पहुंचे अधिकारियों द्वारा भी पद्मेश न्यूज़ से चर्चा के दौरान बताया गया कि आज उन्हें प्रशिक्षण के दौरान अधिकतर यही पूछा गया कि परिषद की बैठक के एजेंडा कितने दिन पहले निकालना चाहिए और उन्हें कब तक मिल जाना चाहिए इस विषय पर उन्होंने बताया कि परिषद की बैठक के एजेंडा 7 दिन पहले निकाल कर पार्षदों को दे दिए जाना चाहिए इसी बात को लेकर सबसे अधिक जानकारी मांगी गई और उन्होंने इसकी जानकारी सभी को दी है

दो माह के भीतर होना चाहिए परिषद की बैठक –

भोपाल से पहुंचे अपर संचालक द्वारा बताया गया कि सबसे अधिक यहां पार्षदों द्वारा परिषद की बैठक को लेकर सवाल किए गए कि परिषद की बैठक कितने दिनों में आयोजित की जानी चाहिए, जिस पर उन्होंने सभी निकाय के पार्षदों और सभापतियों को जानकारी दी कि परिषद की बैठक दो माह के भीतर में आयोजित की जानी चाहिए और इसका एजेंडा भी तय समय के पहले सभी को दे देना चाहिए

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