देवरिया में बढ़ी है ब्राह्मण नेताओं की मांग, लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने भी खूब कैश कराया समीकरण

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 वैसे तो पूर्वांचल में सभी दलों में ब्राह्मण नेताओं की कमी नहीं है, मगर उम्र व समय के साथ अधिकांश ब्राह्मण नेता हाशिए पर चले गए। हाल के वर्षों में देवरिया जिले में भाजपा, सपा , कांग्रेस के युवा ब्राह्मण नेताओं की न केवल ब्राह्मणों में पैठ बढ़ी है, बल्कि संसदीय चुनाव के दौरान सभी दलों ने अपने अपने हिसाब से ब्राह्मण नेताओं को ब्राह्मण बाहुल्य गांवों में कैश कराने की भरपूर कोशिश की है। भाजपा ने सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, बरहज विधायक दीपक मिश्र, पूर्व विधायक डॉ. सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी को नाराज ब्राह्मणों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। वहीं, समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी, पूर्व विधायक आशुतोष उपाध्याय तथा कांग्रेस ने किसान कांग्रेस पूर्वी जोन के अध्यक्ष सुयश मणि त्रिपाठी को चुनाव तक ब्राह्मण बाहुल्य गांवों में प्रचार का जिम्मा सौंपा। देवरिया जिले में ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यहां वही चुनाव जीतेगा, जिसे ब्राह्मणों का आशीर्वाद मिलेगा। देवरिया सीट पर भाजपा के शशांक मणि को कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, बसपा के संदेश चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करते दिख रहे हैं।

नाराज ब्राह्मणों को रिझाने की खूब हुई कोशिश

इस लोकसभा चुनाव में सभी दलों ने ब्राह्मण बाहुल्य गांवों में अपने अपने ब्राह्मण नेताओं को खूब कैश कराया है। सपा, भाजपा व कांग्रेस ने ब्राह्मण फार्मूले की बदौलत देवरिया लोकसभा सीट से लेकर सलेमपुर व बांसगांव संसदीय सीट के गांवों में नाराज ब्राह्मणों को पटाने में कामयाबी हासिल करने की भरपूर कोशिश की है। पिछले सप्ताह देवरिया जिले के ब्राह्मण नेताओं ने अपने अपने क्षेत्र के अलावा दूसरे लोकसभा क्षेत्रों के ब्राह्मण बाहुल्य गांवों में जाकर अपनी-अपने दलों की उपलब्धियों का बखान किया। बिरादरी के युवाओं को अपने साथ जोड़ने की भरपूर कोशिश की। ब्राह्मण बिरादरी के नौजवान इन नेताओं को अपने बीच पाकर खुशी से गदगद देखे गए। वैसे इस अभियान में यह ब्राह्मण नेता कितने सफल हुए यह तो 4 जून के बाद ही पता चलेगा।

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