जिला राइस मिल एसोसिएशन, बालाघाट ने धान उपार्जन वर्ष 2023=24 नीति के संबंध में मध्य प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव के नाम पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिला कलेक्टर को सोपा है ।
जिला राइस मिल एसोसिएशन बालाघाट के अध्यक्ष जितेंद्र मीनू भगत ने बताया कि जिले में उपार्जित धान को उपार्जन अवधि के दौरान जिले में ही रखा जावे।अन्य जिले या अन्य प्रान्त में ना भेजा जावे । मिलरों की क्षमता के अनुसार धान जिले में ही रखी जावे जिले के समस्त मिलर्स शासन की जनकल्याणकारी योजना हेतु शासन प्रशासन व सरकार के सहयोग के साथ मिलिंग करने हेतु सहमत है । पूर्व के वर्षों से एफसीआई, नान, विपणन संघ में लम्बित मिलिंग राशि, परिवहन राशि, धान की लोडिंग अनलोडिंग राशि एवं बारदाना यूजर चार्ज की राशि मिलर्स को अनुबंध के पूर्व देवे। साथ ही जारी की गई नीति के बिन्दु कमांक 13.13 के अनुसार विभाग द्वारा मिलर्स को मिलिंग हेतु दी गई धान के मिलान हेतु प्रतिमाह मिलर्स की मिलों का भौतिक सत्यापन करवाया जाएगा एवं प्रदाय की गई धान का मिल में उपलब्ध धान चॉवल के स्टाक के मिलान में यदि फर्क आता है तो मिलर्स से धान की लागत मूल्य का पाँच गुना पेनाल्टी लगभग (लगभग 60 लाख रूपये प्रति लाट) वसूल किया जावेगा साथ ही मिलर्स के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जावेगा। जिले के मिलर्स ने आग्रह किया कि शासन द्वारा मिलर्स को जो धान दी जाती है उसमें एक लाट की धन 433 क्विंटल के बदले मिलर्स से 290 क्विंटल चावल लिया जाता है जबकि वास्तविकता यह है कि एक लाट की धान मिलिंग करने पर शासन के मापदण्ड के अनुरूप अधिकतम 160 क्विंटल चॉवल निकलता है । शेष खण्डा, रिजेक्शन निकलता है। जिसको बेचकर मिलर्स बाहर से चॉवल खरीदकर लाट को पूरा करते हुए शासन का कार्य करता है। इस बात की प्रमाणिकता हेतु शा चाहे तो जिले में उपार्जित की जाने वाली धान की टेस्ट मिलिंग करवाकर कर सकता है। प स्थिति में भौतिक सत्यापन करने पर मिलर्स के हिसाब का कभी भी मिलान नही हो सकता क्योकि खण्डे को शासन मान्यता नही देता है और फिर मिलर्स अपराधी की श्रेणी में आ जाता है। वर्ष 2022-23 की मिलिंग में इन्ही कारणों से प्रदेश के अनेक जिलो के मिलर्स को दोषी मानक आपराधिक प्रकरण दर्ज किये गये है। इसलिए इस कंण्डिका का हटाया जाना न्यायोचित है । मिलर्स को मिलिंग पर दी जाने वाली अपग्रेडेशन राशि गत वर्ष के समान अनुबंध के समय ही 50, 100, 200 रूपये प्रति क्विंटल दिये जाने संबंधी आदेश मिलिंग नीति में स्पष्ट रूप से अंकित किया जाना चाहिये । शासन द्वारा मिलर्स को जो एफआरके चॉवल बाजार से खरीदकर उसे चॉवल में मिलाकर शासन को जो दिया जा रहा है मिलर्स के द्वारा उस एफआरके चॉवल निर्माता कम्पनी के प्रमाण पत्र विभाग को देने के बाद यदि शासन द्वारा जमा सीएमआर चॉवल को एफआरके चॉवल की खराब क्वालिटी के कारण फेल किया जाता है तो इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी एफआरके चॉवल निर्माण कम्पनी की होगी ना कि मिलर्स की, ऐसी नीति बनाये जाने की गुहार लगाई है ।