नगर मुख्यालय से लगभग ८ किमी. दूर ग्राम पंचायत रानीकुठार के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंढरपानी निवासी २२ वर्षीय फुलसिंह पिता रामसिंह मड़ावी का १३ सितंबर को दोपहर १.३० बजे दक्षिण सामान्य वन परिक्षेत्र लालबर्रा के टेकाड़ी बीट क्रमांक ४१५ में बाघ के हमले से मौत हो गई। यह घटनाक्रम उस समय घटित हुआ जब फुलसिंह मड़ावी अपने अन्य ३ साथियों के साथ मंगलवार की सुबह ११ बजे मवेशी चराने जंगल की ओर गया था इसी दौरान दोपहर १.३० बजे बाघ ने अचानक हमला कर दिया जिससे उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई। घटना की जानकारी लगने के बाद पुलिस व वन विभाग के अधिकारी घटना स्थल पहुंचे और आवश्यक कार्यवाही कर मृतक युवक को लालबर्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया जहां चिकित्सक के द्वारा पोस्ट मार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया है एवं मर्ग कायम कर मामले की जांच की जा रही है।
मृतक के परिजन को मुआवजा दिलवाने की ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से की मांग
प्राप्त जानकारी के अनुसार पंढरपानी निवासी २२ वर्षीय फुलसिंह मड़ावी अपने अन्य तीन साथी भैयालाल सिरसाम, मेहतलाल मड़ावी, खुमान भलावी के साथ १३ सितंबर की सुबह ११ बजे मवेशी चराने टेकाड़ी बीट क्रमांक ४१५ जंगल की ओर गये थे और चारों अपने-अपने मवेशियों को चरा रहे है एवं सभी एक-दुसरे से करीब १००-२०० मीटर दूर थे इसी दौरान अचानक बाघ दहाड़ते हुए आया और फुलसिंह पर हमला कर दिया जिसेे घसीटते हुए कुछ दुर स्थित पत्थर तक लेकर गया। इसी दौरान साथ में मवेशी चराने गये व्यक्तियों ने बाघ की दहाडऩे की आवाज सुनकर फुलसिंह को आवाज लगाई परन्तु वहां कही दिखाई नही दिया और उनकी आवाज सुनकर बाघ भाग गया जिसके बाद मेहतलाल मड़ावी, खुमान भलावी व भैयालाल सिरसाम पतासाजी की तो वहां घटना के कुछ दूर स्थित पत्थर के समीप खून से लथपथ पड़ा हुआ था जिसे तत्काल पानी पिलाया गया परन्तु कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। जिसके बाद दो व्यक्ति जंगल में ही रूके रहे एवं भैयालाल सिरसाम गांव पहुंचकर घटना की जानकारी वन विभाग, पुलिस व ग्रामीणजनों को दी एवं ग्रामीणजन व पुलिस घटना स्थल पहुंचकर जंगल के अंदर मृतक युवक को मृतक अवस्था में गांव के समीप लेकर आये। बाघ के हमले से २२ वर्षीय फुलसिंह की मौत होने की घटना ग्राम सहित आसपास के क्षेत्र में आग की तरह फैल गई जिसके बाद उक्त स्थान पर देखने वालों की भीड़ लग गई। वहीं मृतक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। पुलिस एवं वन विभाग के द्वारा आवश्यक कार्यवाही कर मृतक युवक का शव लालबर्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया जहां चिकित्सक के द्वारा पोस्ट मार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया है एवं पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले को जांच में लिया है और वन विभाग ने मृतक के परिवारजनों को मुआवजा दिलवाने के लिए प्रकरण तैयार किया है एवं अंतिम संस्कार के लिए राशि प्रदान की है।
बाघ के हमले के बाद से ग्रामीणजन दहशत में
दक्षिण सामान्य वन परिक्षेत्र लालबर्रा के अंतर्गत ग्राम पंचायत टेकाड़ी व रानीकुठार के अंतर्गत आने वाली पंढरपानी बीट क्रमांक ४१४ व टेकाड़ी बीट क्रमांक ४१५ के जंगल क्षेत्र एवं ग्राम के समीप विगत दिवस से बाघ व अन्य जंगली वन्यप्राणी के आहट मिलने के साथ ही दिखाई दे रहे है एवं १३ सितंबर को बाघ के हमले से एक युवक की मौत होने के बाद से ग्रामीणजन दहशत में जी रहे है और ग्रामीणजनों ने वन विभाग से गश्त बढ़ाने की मांग की है। ग्रामीणजनों ने बताया कि हमारा ग्राम जंगल से लगा हुआ है और जंगल के समीप खेती भी है इसलिए हमें मवेशी चराने व खेत की ओर रोजाना जाना पड़ता है परन्तु बाघ व अन्य वन्यप्राणियों पूर्व में कुछ लोगों को दिखाई दिये है जिसके बाद से ग्रामीणजन दहशत में जी रहे है और मंगलवार को ४ व्यक्ति मवेशी चराने जंगल की ओर गये थी। इसी दौरान फुलसिंह मड़ावी पर बाघ ने हमला कर दिया जिससे उसकी मौत हो चुकी है एवं अन्य ३ लोग बाल-बाल बच गये अगर चारों व्यक्ति एक साथ रहते तो बाघ उन पर भी हमला कर सकता था। बाघ के हमले से एक युवक की मौत होने के बाद से ग्रामीणजन दशहत में है इसलिए वन विभाग से मांग है कि जंगल में गश्त बढ़ाने के साथ ही मृतक फुलसिंह मड़ावी के परिजनों को मुआवजा प्रदान करें क्योंकि बुढ़े-मॉ का मात्र एक सहारा फुलसिंह था क्योंकि उनका एक भाई बाहर रहता है।
चर्चा में दक्षिण सामान्य वन परिक्षेत्र अधिकारी हर्षित सक्सेना ने बताया कि पंढरपानी निवासी २२ वर्षीय फुलसिंह मड़ावी अपने अन्य तीन साथियों के साथ मंगलवार को सुबह ११ बजे मवेशी चराने जंगल की ओर गये थे इसी दौरान टेकाड़ी बीट क्रमांक ४१५ में बाघ ने हमला कर दिया जिससे उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई है, वन विभाग के द्वारा आवश्यक कार्यवाही कर शासन से मिलने वाली मुआवजा दिलवाया जायेगा एवं अंत्येष्टि कार्यक्रम के लिए वन विभाग से राशि प्रदान की गई साथ ही यह भी बताया कि यह क्षेत्र कान्हा पेंच कॉरिडोर वाला क्षेत्र है और कान्हा पेंच की ओर से जितने भी टाइगर है उनका मुवमेंट इस क्षेत्र में रहता है इसलिए हमारे द्वारा हर समय ग्रामीणजनों से कहा जाता है कि जंगल की ओर न जाये।