ब्रिटेन में 46% आबादी के वैक्सीनेशन के बाद अब 18+ की बारी, सड़कों पर युवाओं की लंबी कतारें

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कोरोना के बढ़ते मामले के बीच ब्रिटेन में सुस्त होते वैक्सीनेशन प्रोग्राम को युवाओं ने बूस्टर दिया है। देश की 46.6% आबादी को वैक्सीन लगाने के बाद 18-20 वर्ष के लोगों के लिए शनिवार से वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू किया गया। इसे लेकर युवाओं में उत्साह है। वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर लंबी कतारें लग रही हैं। पहले दिन शनिवार को इस आयुवर्ग के 7.30 लाख लोगों ने बुकिंग कराई है। हर घंटे 30 हजार लोगों को टीके लग रहे हैं।

लोग एक किमी लंबी कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। लाइन में लगे युवा वैक्सीनेशन को आजादी से जोड़ कर देख रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि वैक्सीनेशन के बाद उन्हें क्वारेंटाइन नहीं होना पड़ेगा। उनका कहना है कि अब वे कहीं भी आ जा सकेंगे। ब्रिटेन में बीते तीन दिनों से 10 हजार से अधिक मामले आ रहे हैं। हालांकि मौतें का आंकड़ा स्थिर है। शनिवार को देश में 14 मौतें दर्ज हुईं।

उधर, फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की तंगी की वजह से बीते हफ्ते ब्रिटेन में सिर्फ 4.5 लाख टीके लगे थे। जिस वक्त वैक्सीनेशन रफ्तार में था, तब हफ्ते में 12 लाख टीके लग रहे थे। अब तक ब्रिटेन में 18 जून तक 7.3 करोड़ डोज लग चुकी हैं। इनमें 4.2 करोड़ आबादी को पहली व 3.11 करोड़ (46.6%) को दोनों डोज लग चुकी हैं। वैक्सीनेशन प्रोग्राम ने ब्रिटिश इकोनॉमी को भी बूस्टर दिया है। अब यह उम्मीद से भी तेज गति से बढ़ रही है।

युवा आबादी में डेल्टा वैरिएंट के मामले एक हफ्ते में 79% बढ़े

बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के लिए लंदन क्लब चेल्सिया और टॉटेनहम फुटबॉल स्टेडिया में वैक्सीनेशन चल रहा है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक, युवा आबादी में डेल्टा वैरिएंट के मामले एक हफ्ते में 79% फीसदी बढ़े हैं।

इकोनॉमी को भी बूस्टरः लॉकडाउन, वर्क फ्रॉम होम, फरलो स्कीम से ब्रिटेन के लोगों के बचत खातों में रिकॉर्ड 18 लाख करोड़ रुपए, इस रकम से इकोनॉमी में तेजी आ रही

ब्रिटिश इकोनॉमी अनलॉक होने के बाद तेजी से उबर रही है। यहां की गलियों में पहले की तरह ही लोग घूम-फिर रहे हैं। शॉपिंग मॉल्स, होटल रेस्त्रां और बीच पहले की तरह ही पैक हैं। वैक्सीनेशन की सफलता से कन्ज्यूमर का विश्वास वापस आ गया है। वे गैर जरूरी चीजें जैसे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू सामानों पर बेहिचक खर्च कर रहे हैं। एचएम रेवन्यू एंड कस्टम (एचएमआरसी) के डेटा के मुताबिक छह महीने से लगातार रोजगार बढ़ रहे हैं। मई तक 2.85 करोड़ लोग काम पर लौट चुके हैं।

हालांकि कोविड से पहले की स्थिति की तुलना में अब भी 5,53,000 रोजगार कम है। ऑफिस फॉर नेशनल स्टेटेटिक्स के डेटा के मुताबिक अब करीब 20 लाख लोगों को ही फरलो स्कीम के तहत सैलरी दी जा रही है, जो कि स्कीम शुरू होने के बाद सबसे कम है। दरअसल बीते साल करीब 10% सिकुड़ने के बाद ब्रिटिश इकोनॉमी 300 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी। वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए राहत पैकेज जारी किया।

इसके तहत रोजगार गंवाने वाले लोगों को सीमित समय के लिए 80% सैलरी सरकार ने दी। अब इसका इकोनॉमी पर सकारात्मक असर दिख रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम, लॉकडाउन, फरलो स्कीम के चलते बचत खातों में 180 बिलियन पाउंड (करीब 18 लाख करोड़ रुपए) हैं। यह ब्रिटेन की सालाना जीडीपी का 10 फीसदी है। 2020 के आखिरी क्वार्टर में सेविंग 16.1% बढ़ी है, जो 1963 के बाद सर्वाधिक है। अनलॉक में यह पैसा मार्केट में गिरेगा और इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।

8.2% की रफ्तार से बढ़ सकती है अर्थव्यवस्था

ब्रिटेन के उद्योग संघ के ताजा आकलन के मुताबिक ब्रिटिश इकोनॉमी दिसंबर तक लॉकडाउन से पहले जैसी स्थिति में आ जाएगी। संघ ने इस साल विकास दर अनुमान 6% से 8.2% कर दिया है। 2022 में भी विकास दर का अनुमान 5.2 से 6.1% कर दिया है। आईएमएफ ने 5.1% की भविष्यवाणी की थी। ऐसे में यह बढ़ोतरी उम्मीद से बेहतर है।

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