महसा की खबर शेयर करने वाली पत्रकार नीलोफर हमीदी को ईरानी पुलिस ने हिरासत में लिया, ढाए जा रहे जुल्म

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ईरान में पुलिस हिरासत में छात्रा महसा अमीनी की मौत के बाद से हिजाब के विरोध में करीब एक महीने से प्रदर्शन हो रहे हैं। ईरान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों में 19 बच्चों सहित कम से कम 185 लोग मारे जा चुके हैं। ईरानी सरकार के कोप का शिकार महसा अमीनी की मौत की खबर को सबसे पहले ट्विटर पर शेयर करने वाली महिला पत्रकार नीलोफर हमीदी भी हुई है। नीलोफर हमीदी को पिछले 18 दिनों से पुलिस की हिरासत में रखा गया है और उनका उत्पीडन किया जा रहा है।
ईरानी पत्रकार नीलोफ़र ​​हमीदी को स्थानीय पुलिस ने ट्विटर पर सबसे पहले महसा अमीनी की मौत की खबर साझा करने के लिए गिरफ्तार किया है। हमीदी ने छात्रा की फोटो के साथ एक भावुक पोस्ट किया था, जो देखते ही देखते वायरल हो गया था। ईरानी जांच एजेंसी ने नीलोफ़र ​​हमीदी को हिरासत में लेने के साथ ही उनके ट्विटर अकाउंट को भी सस्पेंड करा दिया है। हमीदी के वकील मोहम्मद अली कामफिरौजी के हवाले से बताया कि पुलिस ने महसा की मौत के छह दिन बाद 22 सितंबर को उन्हें हिरासत में लिया था। इस दौरान हमीदी के घर छापा भी मारा गया था जिसमें उनके घर की तलाशी लेकर उनका जरूरी सामान भी जब्त कर लिया गया। कामफिरौजी ने आगे बताया कि हमीदी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है, बावजूद उन्हें ईरान की एविन जेल के एकांत कारावास में रखा गया है। हमीदी को देश में बहादुर पत्रकार के रूप में वर्णित किया जाता है, जो महिलाओं के मुद्दों और अधिकारों के बारे में लगातार लिखती रही हैं। पिछले दिनों उन्होंने ईरानी लेखक और कलाकार सेपिदेह रश्नो के परिवार का साक्षात्कार लिया था, जिन्हें जुलाई में इस्लामिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार किया गया ङऐ।
नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स ग्रुप ने कहा कि ईरान में चल रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में 19 बच्चों सहित कम से कम 185 लोग अब तक मारे जा चुके हैं। सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में सबसे ज्यादा हत्याएं दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुर्दिश शहर साकेज़ से शुरू हुए यह प्रदर्शन अब राजधानी तेजरन समेत देश के सभी इलाकों में फैल गए हैं।
ईरानी अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शनों को संयुक्त राज्य अमेरिका सहित ईरान के दुश्मनों द्वारा रची गई साजिश बताया है। ईरान का आरोप है कि पश्चिमी देश लोगों को हथियार देकर राज्य के खिलाफ हिंसा के लिए प्रेरित कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में सुरक्षा बलों के कम से कम 20 सदस्य मारे जा चुके हैं।

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