हिंद महासागर में 1200 से अधिक द्वीप समूह वाले देश मालदीव में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं। इस पर वहां प्रशिक्षित स्वास्थ्य-कर्मियों की कमी भी महसूस की जा रही है। कुछ दिनों पहले तक मालदीव ने कोरोना पर नियंत्रण करने का दावा किया था।
इससे वहां पर्यटकों की आमद भी शुरू हो गई थी। लेकिन पिछले माह यहां पर आबादी और प्रति-व्यक्ति के अनुपात में दुनिया के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। इससे प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों और नर्सों की कमी होने लगी है।
20 मरीजों पर 1 नर्स
मालदीव के सबसे बड़े कोरोना उपचार केंद्र में लगभग 300 बिस्तर हैं। ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई है। लेकिन वहां नर्स नहीं हैं। माले के स्वास्थ्य केंद्र की प्रमुख मारिया सईद कहती हैं, ‘हमारे पास जनरल वार्ड में 20 मरीजों के बीच केवल एक नर्स है। ऐसे में बड़ी संख्या में प्रशिक्षित स्वास्थ्य-कार्यकर्ता चाहिए।
भारत और बांग्लादेश पर निर्भरता
मालदीव की आबादी 5.40 लाख के करीब है। यह देश स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिहाज से भारत और बांग्लादेश जैसे देशों पर निर्भर है। लेकिन इन देशों में भी पहले से ही कोरोना संकट की वजह से स्वास्थ्य-व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ है। ऐसे में यहां से मदद मिलना मुश्किल है।
पड़ोसी देशों से डॉक्टर बुलाने की तैयारी
मालदीव में मेडिकल स्टूडेंट को भी काम पर नहीं बुलाया जा सकता। क्योंकि यहां केवल एक मेडिकल यूनिवर्सिटी है। फिलहाल मालदीव सरकार जून के अंत तक भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका आदि पड़ोसी देशों से 40 डॉक्टर और 100 नर्सों को नियुक्त करने पर विचार कर रही है।