यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद यहां के हालात लगातार खराब हो रहे है। 69 दिनों से पूरे जोश के साथ यूक्रेन युद्ध का सामना कर रहा है। अब अमेरिका यूक्रेन की सेना को अब ‘जंग का बादशाह’ कहे जाने वाली अपनी घातक तोप एम777 दे रहा है। खबरों के मुताबिक अमेरिका यूक्रेन को कुल 90 एम777 तोपें दे रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस अमेरिकी तोप के यूक्रेन की सेना में शामिल होने के बाद अब रूसी सेना को खुले में आना और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। यही नहीं यूक्रेन की सेना इस तोप की मदद से रूस के कब्जा किए यूक्रेनी इलाके पर फिर से अपना नियंत्रण हासिल कर सकती है। भारतीय सेना भी चीन से निपटने के लिए इसी तोप का इस्तेमाल करती है। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक यूक्रेन को 155 एमएम की 70 एम777 तोपों और 70 हजार गोलों की सप्लाइ कर दी गई है। यूक्रेन के 200 सैनिकों को इन तोपों को चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके बाद 50 और यूक्रेनी सैनिकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। यूक्रेन के तोपखाना रेजिमेंट के पहले जत्थे को कनाडा के सैनिक ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रीय गार्ड भी इन तोपों को चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। ये राष्ट्रीय गार्ड रूस के हमले से पहले ही यूक्रेन में ट्रेनिंग को अंजाम दे रहे थे।
अब ये सैनिक जर्मनी में यूक्रेन के सैनिकों को ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं। ड्रोन और आधुनिक हथियारों के इस दौर में भी तोपें जंग में तबाही मचाने में एक बार फिर से कारगर साबित हुई हैं। साल 2017 में सीरिया के रक्का शहर में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अमेरिका के एक मरीन सैनिकों के दल ने एम777 तोप से इतने ज्यादा गोले दागे थे कि उनकी दो तोपों की बैरल ही जल गई थी। अमेरिका के मरीन कर्नल और शोधकर्ता जेम्स डब्ल्यू फ्रे का कहना है कि हम तोप को हमेशा से ही ‘जंग का बादशाह’ कहते आए हैं। नेपोलियन बोनापार्ट के समय से लेकर अभी तक एक बार फायरिंग शुरू होने के बाद तोप के खिलाफ कोई बचाव नहीं है। फ्रे ने कहा कि तोपों का एक फायदा यह भी है कि इसे हर समय और हर मौसम में दागा जा सकता है। इन तोपों की मदद से यूक्रेनी सेना रूसी हमले की क्षमता को कमजोर कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस समय यूक्रेन की जमीन कीचड़ से भरी हुई है और रूसी सेना आगे बढ़ने के लिए सड़कों का ही इस्तेमाल करेगी। यूक्रेन की सेना ड्रोन और अन्य निगरानी हथियारों की मदद से रूसी सैनिकों की हलचल की निगरानी कर सकती है और जब जरूरत हो वहां पर तोपों की मदद से जोरदार बमबारी कर सकती है।
एम777 तोप की जोरदार ताकत को देखते हुए ही भारतीय सेना ने भी 5 हजार करोड़ रुपये में 145 गन के ऑर्डर अमेरिका को दिया था। 30 किमी की मारक क्षमता वाली तीन एम-777 रेजिमेंट को चीन के साथ लगती एलएसी पर तैनात किया गया है। चीन बॉर्डर पर तोपों की तैनाती बढ़ाने की भी तैयारी है। इसकी खासियत यह है कि चिनूक हेलिकॉप्टर से इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।