सावन की झड़ी ने मौसम सुहाना कर दिया। दो दिन पहले उमस बेहाल कर रही थी, वह बारिश के साथ खत्म हो गई। पंखे की हवा में ठंड का अहसास हो रहा है। बिजली की खपत घटकर आधी रह गई है। ग्वालियर-चंबल संभाग के ऊपर बना चक्रवातीय घेरा आगरा के ऊपर शिफ्ट हो गया है, लेकिन इसका असर बुधवार को ग्वालियर के ऊपर रहेगा। इससे सुबह से बादल छाए हुए हैं। शाम तक तेज बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन चुका है। 30 जुलाई से 4 अगस्त के बीच भारी बारिश की संभावना है।
मानसून सीजन के 1 जून से 17 जुलाई के बीच 47 दिन सूखे बीत गए थे। इससे सूखे हालात बन गए थे। ग्वालियर सहित संभाग के जिले रेड जोन में चल रहे थे। औसत बारिश में पिछड़ते जा रहे थे। 18 जुलाई से मानसून की मेहरबानी हुई। 11 दिन में बारिश की झड़ी लग गई। बारिश औसत के करीब पहुंच गई। मानसून की बेरुखी के चलते मानसून के जो हालात बने थे, वह खत्म हो गए। आने वाले दिन भी अंचल में बारिश के लिए अच्छे रहेंगे। औसत से आगे निकल जाएंगे। बारिश के ब्रेक की संभावना नहीं है। इस बारिश से जिले में बोवनी हो चुकी है। धान की रुपाई भी शुरू हो गई है। गत दिवस तापमान में गिरावट आने से दिन व रात का मौसम एक जैसा रहा।
30 से फिर कम दवाब का क्षेत्र बारिश कराएगाः बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र विकसित हो गया है। इसका असर पूर्वी मध्य प्रदेश में 28 जुलाई को दिखने लगेगा। 29 जुलाई को बुंदेलखंड के पूर्वी हिस्से में बारिश शुरू हो जाएगी। 30 जुलाई से 4 अगस्त के बीच यह कम दबाव का क्षेत्र ग्वालियर पहुंचने के आसार हैं। इससे पांच दिनों तक ग्वालियर सहित संभाग में भारी बारिश के आसार हैं। 28 व 29 अगस्त को ग्वालियर चंबल संभाग के ऊपर आगरा के ऊपर बना चक्रवातीय घेरा बारिश कराएगा। मानसून ट्रफ लाइन भी सामान्य स्थिति में है, जिससे हवा को नमी मिल रही है।
वर्जन-
ग्वालियर-चंबल संभाग में 24 घंटे बारिश के आसार हैं। नया कम दबाव का क्षेत्र विकसित हो चुका है। 30 जुलाई से 4 अगस्त के बीच भारी बारिश होने के आसार हैं। ग्वालियर-चंबल में अच्छी बारिश रहेगी। जिन किसानों ने ज्वार बाजरा, तिल बोया है, वह खेत का पानी काट रखें। धान के किसानों के लिए यह बारिश अच्छी है।