पेरंबूर की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में वंदे भारत ट्रेन के 100 से ज्यादा कोच तैयार होने वाले हैं। चेयरकार के बाद अब स्लीपर कोच ट्रेनें भी पटरियों पर उतरने वाली हैं। इनकी डिजाइन तैयार है, बस बोर्ड की मंजूरी का इंतजार है। अगले दो साल में 115 वंदे भारत ट्रेन बनाने का लक्ष्य है। इनमें 75 चेयरकार और 40 स्लीपर है। ICF के जीएम और प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर एस. श्रीनिवास बताते हैं सभी ट्रेनें दो साल में बन जाएंगी। अप्रैल के बाद ये कपूरथला और रायबरेली में भी बनने लगेंगी।
बहरहाल, फैक्ट्री में सबसे आगे पार्ट्स के पार्सलों के ढेर हैं, जो दर्शाते हैं कि अंदर तेजी से काम जारी है। यहां रोज सुबह 7.30 से रात 2.00 बजे तक सैकड़ों इंजीनियर-टेक्नीशियन काम में जुटे हैं। फाइनल टेस्टिंग यूनिट में एक पूरी रैक तैयार खड़ी है। इसमें एक्सपर्ट पायलटों को संचालन की विधि समझा रहे हैं। कुछ लोग क्रेन से ट्रेन की छत को कोच की साइड-वॉल और बेस पर लगा रहे थे।
यूक्रेन से आ रहा वंदे भारत ट्रेन का पहिया
यह असेंबल यूनिट है। यहां करीब 100 कोच तैयार हो रहे हैं। यहां काम कर रहे पब्लिसिटी इंस्पेक्टर इल्लीबाबू बताते हैं कि दूसरे हिस्से में फिनिशिंग चल रही है। यानी फर्श का कारपेट लग रहा है, खिड़कियां लग रही हैं, सेनेट्री की फिटिंग और वायरिंग हो रही है। फिनिशिंग यूनिट में भी 50 से ज्यादा कोच आखिरी चरण में चल रहे हैं। LHB के तीसरे हिस्से में यूक्रेन से आए चक्के बोगी पर लगे एक कतार में खड़े हैं।
वंदे भारत ट्रेन के पहिए यूक्रेन ही सप्लाई कर रहा है। वहां युद्ध के कारण ये चक्के कुछ महीनों के लिए अटक गए थे। इन्हें गाड़ियों से रोमानिया पहुंचाया गया, फिर एयरलिफ्ट कर भारत लाए गए।