सक्सेस के लिए अर्जुन की तरह ध्यान जरूरी:मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास ने बताया सक्सेस पाने का मंत्र

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‘जीवन में सक्सेस पाना चाहते हैं, तो अर्जुन की तरह मछली की आंख पर ध्यान होना चाहिए। महाभारत में जिस तरह कर्ण स्वयं की अर्जुन से तुलना कर उसे पराजित करके खुद को श्रेष्ठ धनुर्धर साबित करना चाहता था। उसी तरह आज मनुष्य खुद को दूसरों से कंपेयर करने की उधेड़बुन में लगा रहता है। ऐसा नहीं करना चाहिए’

यह बात मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास जी ने कही। वे बुधवार को भोपाल के न्यू रवींद्र भवन में बोल रहे थे। मौका था दैनिक भास्कर समूह के चेयरमैन स्वर्गीय रमेशचंद्र अग्रवाल के 78वें जन्मदिन का। उनके जन्मदिन को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाया गया। गौर ने लोगों ने कई प्रैक्टिकल उदाहरणों के जरिए सरल तरीके से लाइफ स्किल्स सिखाई।

उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में घूम कर आ चुका हूं, लेकिन मध्यप्रदेश के लोगों की सिंपलिसिटी बहुत पसंद आई। एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि ’एक बार एक बच्चा गुब्बारा खरीदने गया। उसने गुब्बारे वाले से कहा कि क्या भैया सभी गुब्बारे उड़ेंगे? चाहे वह किसी भी रंग के हों ? गुब्बारे वाले ने कहा- हां गुब्बारा काला हो, लाल हो या हरा। सभी उड़ते हैं। उनका रंग से क्या लेना देना।

ठीक इसी तरह जिंदगी भी है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि इंसान का ऊपरी पहनावा, वेशभूषा या रंग क्या है? फर्क इससे पड़ता है कि उसके अंदर क्या है? जैसे- गुब्बारे के अंदर भरी हवा उसके ऊपर उड़ने का कारण बनती है। उसी तरह हर इंसान भी चरित्र और विश्वास से सक्सेस हासिल करता है।

ऐसा होता है हिंदुस्तानी
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी वह होता है, जो शैंपू की बोतल में पानी डालकर, टूथपेस्ट के ट्यूब को आखिरी दम तक दबाकर और टीशर्ट फटने से लेकर पोछा बन जाने तक इस्तेमाल करे। जिस तरह एयरोप्लेन की टेकऑफ और लैंडिंग हमारे हाथ में नहीं है। उसी तरह, पैदा होना और मरना हमारे हाथ में नहीं है। हमारे हाथ में है, सिर्फ जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करना।

खुद को दूसरे से कंपेयर नहीं करें
गौर गोपाल दास ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक पिता का बेटा एग्जाम में फेल हो जाता है। पिता उस बच्चे को डांटता है कि तू कैसे फेल हो गया। देख- पड़ोस वाली लड़की को, वह कितने अच्छे नंबरों से पास हुई है। तू हर बार फेल हो जाता है, ऐसा क्यों? बेटा बोला- पापा आपने ही तो कहा था देख उसे! उसे देख-देख कर ही फेल हो गया हूं।

संस्कृत में गालियां भी मीठी

उन्होंने कहा- दुनिया में कोई ऐसा नहीं हुआ, पहले दिन भर्ती और दूसरे दिन चक्रवर्ती। अगर आप स्वयं में बदलाव चाहते हैं, तो वह धीरे-धीरे होगा। गालियां देनी है, तो संस्कृत में दे सकते हैं। जैसे- किसी को गधा कहना है, तो उसे कहें वैशाख नंदन। सामने वाले को लगेगा कि आप उसे कोई उपाधि दे रहे हैं।

आखिर में उन्होंने कहा कि हर चुनौतियों का सामना हिम्मत से करें। दो लाइन हमेशा याद रखें- ‘हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी, छांव है कहीं, कहीं है धूप जिंदगी, हर पल यहां जी भर जियो, जो है समां कल हो ना हो।’

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