सालों बाद सूना रहा रामलीला मैदान

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 पिछले कई सालों से शहर में 25 दिसंबर से 13 जनवरी तक रामलीला मेले का आयोजन किया जाता था लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते रामलीला मेले का आयोजन नहीं हो सका। जिससे मेले में दुकान लगाने वाले, झूला लगाकार अपने परिवार का पेट भरने वाले कई व्यापारियों को निराशा हाथ लगी है। जबकि स्थानीय व्यापारियों ने स्थानीय प्रशासन को रामलीला मेला लगाए जाने की मांग को लेकर ज्ञापन भी दिया था लेकिन प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

मेले में दुकान लगाने वाले जावेद खां का कहना है वे हमेशा ही जिले व उसके आस पास लगने वाले मेले में कंगन,गर्म कपड़े, बर्तन की दुकान लगाते है। मार्च महीने से कोरोना के कारण पूरे साल किसी भी जगह मेले का आयोजन नहीं किया गया। वहीं उन्हें और उनके कई साथियों को उम्मीद थी की इस साल तो मेले लगेंगे लेकिन प्रशासन ने मेला आयोजन की परमिशन नहीं दी। जबकि लोगों की मांग पर विदिशा में रामलीला मेले का आयोजन किया जा रहा है। यदि प्रशासन चाहता तो कम दिनों के लिए मेले लगाए जाने की अनुमति दे सकता था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। प्रशासन के कारण पहलीबार ऐसा हुआ की गंजबासौदा में मेले का आयोजन नहीं किया गया |

रंगमंच के कलाकार का निधन

रंगमंच पर विभिन्ना्‌ संजीदा अभिनय करने वाले दादा कामता प्रसाद रिछारिया का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जिनकी अंतिम यात्रा में नगर क्षेत्र के हजारों लोग शामिल हुए। दादा कामता प्रसाद रिछारिया ने 70 और 80 के दशक में जय अंबे ड्रामा पार्टी, सत्यम शिवम सुंदरम ड्रामा पार्टी और शकुंतला ड्रामा पार्टी में धार्मिक सामाजिक राष्ट्रीय और कई महत्वपूर्ण पात्रों का संजीदा अभिनय किया। दादा कामता प्रसाद रिछारिया कांग्रेस पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे। प्राथमिक कृषि समिति में लंबे समय तक डायरेक्टर रहे। पठारी ग्राम पंचायत में लंबे समय तक पंच पद पर आसीन रहे। नगर व क्षेत्र में सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे। जिनके पुत्रों में जनपद सदस्य एवं हिंदू उत्सव समिति अध्यक्ष राजेश रिछारिया,राकेश रिछारिया और प्राचार्य प्रकाश नारायण रिछारिया हैं। जिनकी अंतिम यात्रा में श्रद्धांजलि देने के लिए जनप्रतिनिधि,नेता,अधिकारी,कर्मचारी,किसान,व्यापारी,सहित हजारों नागरिक शामिल हुए।

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