सिंघु बॉर्डर पर बवाल के बाद पुलिस ने किया 44 लोगों को गिरफ्तार, प्रदर्शनकारियों का आज अनशन

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Singhu Border News : किसान आंदोलन के बीच सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को बवाल हो गया। स्थानीय लोगों और किसानों के बीच पत्थरबाजी हुई। इस दौरान अलीपुर एसएचओ पर तलवार से हमला भी हुआ। इस मामले में पुलिस ने 44 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें अलीपुर एसएचओ को तलवार मारने का आरोपी भी शामिल है। वहीं, कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास विफल हो गया है। गाजीपुर से लेकर सिंघु बार्डर तक जितने षड्यंत्र रचे गए, सभी का मुंहतोड़ जवाब देते हुए किसान दोगुनी मजबूती के साथ आंदोलन से जुड़ गया है। किसान नेताओं ने शुक्रवार शाम को पत्रकारों से बातचीत करते हुए ऐलान किया कि 30 जनवरी को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी किसान नेता भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने देशभर के किसान नेताओं ने इस भूख हड़ताल में शामिल होने की अपील की है। यूपी गेट के गाजीपुर बॉर्डर पर स्वराज अभियान के प्रमुख एवं किसान प्रतिनिधि योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों को आज देशद्रोही कहा जा रहा है। कभी अगर ऐसा हुआ तो इस देश को कोई बचा नहीं पाएगा। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से पानी की मदद देने के लिए हम धन्यवाद करते हैं, लेकिन हम दिल्ली का पानी नहीं लेंगे।

टीकरी बार्डर से किसानों को हटाने की मांग हुई तेज

टीकरी बार्डर पर जमे किसानों के लिए आसपास स्थित गांवों के लोग पहले दूध, फल व सब्जियां लेकर आते थे। किसान होने के नाते इनकी पूरी मदद करते थे। लेकिन, लाल किला पर उपद्रव के बाद लोगों की राय बदल गई है। लोगों का कहना है कि ट्रैक्टर परेड के नाम पर जिस तरह से बार्डर पर जमे किसानों ने उपद्रव किया, जिस तरह से तिरंगे का अपमान किया है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। टीकरी कलां व आसपास के गांवों व कॉलोनियों से आए लोगों ने बार्डर पर जमे प्रदर्शनकारी किसानों के विरोध में नारेबाजी की।

किसान भी चाहते हैं उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई

लाल किले पर हुई घटना से आंदोलनरत कई किसान भी नाराज हैं। टीकरी बार्डर पर किसानों की संख्या दिनोंदिन कम हो रही है। पंजाब से आए सुखजीत ने बताया कि उपद्रवियों द्वारा किए गए बवाल से आंदोलन को गहरा आघात लगा है। वह यहां पर अपनी मांग सरकार के सामने रखने आए थे। हिसा करने का कोई मकसद नहीं था और उन्होंने हिसा की भी नहीं, लेकिन कुछ लोगों ने आंदोलन पर पानी फेर दिया। लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार सबको है, लेकिन विरोध में हिसा की कोई जगह नहीं है। 26 जनवरी की घटना से वह खुद शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं।

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