सीधी में हुए बस हादसे के बाद परिवहन विभाग का अमला एक बार फिर मैदान में था। करीब एक साल बाद अधिकारियों ने दो स्थानों पर तीन घंटे में 130 बसों की जांच की। इस दौरान 40 बसों पर कार्रवाई कर 70 हजार रुपये का जुर्माना किया गया। एक बस जब्त भी की गई। इस दौरान कई बसें ऐसी थीं, जिनमें क्षमता से अधिक यात्री सवारे थे।आरटीओ जितेंद्र सिंह रघुवंशी ने सुबह दो टीमें बनाकर बसों की जांच के लिए रवाना की। एआरटीओ हृदयेश यादव, आरटीआइ रवींद्र ठाकुर की टीम ने नावदा पंथ और एआरटीओ अर्चना मिश्रा व निशा चौहान की टीम ने तेजाजी नगर बायपास पर चेकिंग की। एआरटीओ मिश्रा ने बताया कि सरकार ने बस के परमिट और फिटनेस को लेकर 31 मार्च तक की छूट दे रखी है लेकिन हमने ओवर लोडिंग और पीयूसी को लेकर जांच अभियान चलाया। कई बसों में लापरवाही पाई गई, जिन पर जुर्माना किया गया। हालांकि इस दौरान अच्छी बात यह रही कि खराब फिटनेस वाली कोई बस नहीं मिली।
एक साल बाद उतरे मैदान मेंजानकारी के अनुसार करीब एक साल पहले बसों की चेकिंग की गई थी। कोरोना के कारण लाकडाउन लगने से चेकिंग बंद हो गई। अब जब सब सामान्य हुआ तो उड़नदस्ते के पास स्टाफ नहीं है। केवल एक परिवहन निरीक्षक, प्रधान आरक्षक और ड्राइवर बचे हैं। इसमें भी प्रधान आरक्षक कोरोना के कारण अवकाश पर है।
ऐसे तर्क दिए पकड़े जाने पर– एक बस जिसकी क्षमता 52 यात्रियों की थी, उसमें 63 यात्री सवार थे। बस चालक ने मालिक को फोन कर मौके पर बुलवा लिया। बस इंदौर से खंडवा जा रही थी। बस मालिक ने आकर एआरटीओ से कहा कि आपकी कार्रवाई के डर से बस संचालक अपनी बसें खाली कर भाग रहे हैं। उसकी बची सवारी मेरी बस में जबरन चढ़ गई है।- 32 सीटर बस में 45 यात्री ले जा रही बस के कंडक्टर ने तर्क दिया कि बड़े दिन बाद बसें शुरू हुई हैं, इसलिए याद नहीं रहा कितनी सवारी बैठानी है।
32 सीटर बस में 60 यात्रियों को भरकर ले जा रहे बस के चालक ने तर्क दिया कि वसंत पंचमी के कारण भीड़ है। सारे कागज पूरे हैं।- आपके एक बार कहने पर हम सरकारी कार्यक्रम के लिए बसें देते हैं। आप ही कार्रवाई करेंगे तो आगे से हम बसें नहीं देंगे।- किराया नहीं बढ़ने और खर्च बढ़ने से पहले ही यात्री परेशान हैं, आप ऐसे जांच के नाम पर परेशान करेंगे, तो क्या हम आत्महत्या कर लें।