हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं, यह संवाद शाहरुख खान अभिनीत ‘बाजीगर’ फिल्म का है, लेकिन यह फिट बैठता है टोक्यो ओलिंपिक में गुरुवार सुबह अर्जेन्टीना के खिलाफ खेले गए हॉकी मैच में शानदार मैदानी गोल करने वाले हमारे विवेक प्रसाद सागर पर। इस मैच में भारत ने अर्जेंटीना को 3-1 से हराया।
विवेक के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था, उसके लिए खेलना तो दूर, जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। विवेक को भोपाल के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में एक बार अभ्यास के दौरान बाएं कंधे में गंभीर चोट लग गई थी। मैदान पर मध्य प्रदेश हॉकी अकादमी के मुख्य कोच अशोक ध्यानचंद ने देखा और उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया। अशोक ध्यानचंद ने बताया कि उस समय डॉक्टरों ने कहा कि चोट गंभीर है, कुछ भी हो सकता हैा लेकिन विवेक ने हिम्मत नहीं हारी और अपना इलाज कराया और मैदान पर भी लौटा। यह करिश्मा विवेक जैसे बड़े जिगर वाला खिलाड़ी ही कर सकता है।
चोट बनी वरदान
अशोक कुमार ने बताया कि चोट के बाद विवेक घर लौट आया, यहा भी उसे चैन नहीं मिला और फिर से मैदान पर आ गया। मैनें अभ्यास के दौरान उसके बाएं हाथ पर अधिक जोर न लगे, जिससे उसकी कंघे की चोट फिर ना उभर आए इसलिए मैंने उसके बाएं हाथ को बांध दिया। अब वह मैदान पर दाएं हाथ से ही अभ्यास करता था। लगातार अभ्यास करने से वह एक हाथ से खेलने में माहिर हो गया। इस तरह से चोट भी उसके लिए वरदार साबित हुई हैा
छोटे से गांव से निकली प्रतिभा
होशंगाबाद जिले की इटारसी तहसील के ग्राम शिवनगर चांदौन के रहने वाले हैं विवेक सागर। बचपन से उसे हॉकी से प्रेम रहा है। ओलिंपियन अशोक ध्यानचंद ने एक मुकाबले के दौरान विवेक की प्रतिभा को पहचाना और उसे मध्यप्रदेश अकादमी में प्रवेश दिलाया। यहां से विवेक ने पीछे मुडकर नहीं देखा। आज वह देश के चुनींदा हॉकी खिलाडि़यों में शुमार हो गया है। ओलिंपिक खेलने और ओलिंपिक में देश के लिए गोल करने का सपना उसने पूरा कर लिया है ।